मध्यप्रदेश में 21 दिन और बढ़ सकता है लॉकडाउन, ग्रामीण क्षेत्रों में दी सकती है छूट, सभी स्कूल और कॉलेज के जून में ही खुलने के आसार

प्रदेश सरकार 14 अप्रैल को खत्म हो रहे लॉकडाउन को 21 दिन और बढ़ा सकती है। इस दौरान ग्रामीण इलाकों में किसानों को कुछ शर्तों के साथ छूट दी सकती है। प्रदेश की सभी शिक्षण संस्थाएं 15 मई तक बंद रहेंगी। लोगों को किसी बात की परेशानी नहीं हो इसी लिए सरकार ने एस्मा (अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण कानून) लागू किया है। इस कानून के तहत लोगों को उनकी जरूरत की हर वस्तु उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाएगी। लॉकडाउन को 21 दिन और बढ़ाने का फैसला 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद लिया जाएगा। 11 अप्रैल की रात को ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी। संभावना ये भी संक्रमण और नहीं फैले इसके लिए सरकार भीलवाड़ा मॉडल प्रदेश में लागू कर सकती है।


प्रदेश लॉकडाउन को बढ़ाने का निर्णय 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होने वाली बातचीत के बाद लिया जा सकता है। इसके लिए योजना बनाने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं। बताया जा रहा है कि लॉकडाउन शहरी क्षेत्रों में लॉकडाउन का पालन और सख्ती से कराया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों और किसानों को इसमें कुछ छूट शर्तों के साथ दी जाएगी। जिससे किसान अपनी फसल को आसानी से काट और बेच सके। इससे पहले सरकार जरूरत के सामान की आपूर्ति सामान्य करेगी। अभी कई स्थानों पर स्टाक खत्म होने की जानकारी मिल रही है। दो-तीन दिन के अंदर प्रदेश के हर जिले में जरूरी सामान की आपूर्ती की जाएगी, जिससे की लोगों को परेशान नहीं होना पड़े।


15 मई तक बंद रहेंगे स्कूल


जानकारी के अनुसार स्कूल-कॉलेज सहित अन्य शिक्षण संस्थाएं 15 मई तक बंद रहेंगे। सरकारी कैलेंडर के अनुसार 15 मई के बाद स्कूलों में 15 जून तक अवकाश रहता है। ऐसी स्थिति में अब स्कूल 15 जून तक ही स्थिति सामान्य होने पर खुलेंगे।  



प्रदेश में जरूरी वस्तुओं का स्टाक कम हुआ, इसलिए लगाया एस्मा


प्रदेश लॉकडाउन के चलते जरूरी वस्तुओं की कमी हो गई है। इसको देखते हुए बुधवार को गृह मंत्रालय ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन के बीच आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एस्मा लागू करने को कहा था। केन्द्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को लिखे गए पत्र में कहा है कि आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव उपाय किए जाने चाहिए। इन उपायों के तहत स्टॉक सीमा तय करने, मूल्यों का निर्धारण, उत्पादन बढ़ाना और डीलरों, अन्य के खातों की जांच आदि शामिल है। 


इसलिए लगाना लागू करना पड़ा कानून


भल्ला ने कहा कि श्रमिकों की कमी के चलते विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में कमी की रिपोर्ट आ रही हैं। ऐसी स्थिति में जमाखोरी, कालाबाजारी, मुनाफाखोरी की आशंका है जिससे वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। राज्यों से कहा गया है कि वे उचित दर की दुकानों पर वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाएं। इससे पहले मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी आदेश में खाद्य पदार्थों, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण और उत्पादन की अनुमति दी थी। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने भी राज्यों को इन वस्तुओं के ऑर्डर देने से संबंधित प्रावधानों में 30 जून तक रियायत दी है। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने पर सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। 


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